स्वामी विवेकानन्द का जीवन चरित्र विश्व के लिये आदर्श रामदास पुरी

जन अभियान परिषद द्वारा विवेकानन्द जयंती पर विचारगोष्ठी आयोजित

अनूपपुर  : स्वामी विवेकानन्द जी ईश्वरीय स्वरुप हैं। नरेन्द्र से स्वामी विवेकानन्द बनने तक की उनकी जीवन यात्रा , उनका चरित्र, उनके द्वारा दी गयी शिक्षा और दिखलाया गया मार्ग विश्व के मानव समाज के लिये आदर्श है। हमें उनके दिखाए मार्ग और उनके सिद्धान्तों पर चल कर जीवन को सफल बनाने का कार्य करना होगा। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद ,जिला इकाई अनूपपुर द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार में स्वामी विवेकानंद जयंती के पावन अवसर पर 12 जनवरी 2024 , शुक्रवार को विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक उमेश पाण्डेय ने भाजपा जिलाध्यक्ष रामदास पुरी, समाजसेवी वासुदेव जगवानी, पत्रकार मनोज द्विवेदी, ज्ञानेन्द्र सिंह परिहार, राजेश सिंह, आदर्श दुबे, सत्यनारायण सोनी, सुभाष मिश्रा के साथ सभी अतिथियों और सहभागियों का स्वागत् किया। जन अभियान परिषद के सैकडों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में जिलाध्यक्ष श्री पुरी ने कहा कि जन अभियान परिषद द्वारा स्वामी विवेकानन्द जयंती पर आयोजित यह विचारगोष्ठी किसी सत्संग जैसा आयोजन है। जिसमे शामिल होकर हमें भी पुण्य लाभ अर्जित करने का अवसर प्राप्त हुआ। देश में आज भी दो तरह के लोग हैं । सती, संत और शूर समाज ,देश को संभालने ,मजबूत बनाने वाले लोग हैं तो दूसरी ओर कपटी, कायर , क्रूर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो देश समाज को बिगाड़ने , कमजोर करने का कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वासुदेव जगवानी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि
मानव जीवन की सार्थकता जिनकी होती है, उनकी हम जयंती मनाते हैं। महापुरुषों की शिक्षा, उनके आदर्श , उनके दिखाए मार्ग पर चल कर अपना जीवन सफल बनाने के लिये हम उन्हे याद रखते है। संस्कारित माता – पिता के सुसंस्कारित पुत्र स्वामी विवेकानन्द जी अल्पायु में ही विभिन्न धर्म, पंथ, विचारधाराओं का अध्ययन कर चुके थे।सत्य, ब्रम्ह है क्या …यह प्रश्न स्वामी विवेकानन्द ने अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा था। वैदिक दर्शन का अध्ययन उन्होंने किया था। उस वक्त तक विश्व के पश्चिम में डार्विन के सिद्धांत की खूब चर्चा थी, जिसमें यह अवधारणा बनाई गयी कि क्रमिक विकास का परिणाम है मानव सभ्यता । श्री जगवानी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक उत्थान में स्वामी जी की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। जिले के वरिष्ठ पत्रकार मनोज द्विवेदी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी को पढना सबके लिये आवश्यक । इससे भी जरुरी है कि हम उनके विचारों को आत्मसात करें। स्वामी विवेकानन्द जी के विचार  उनकी जीवन शैली आपके जीवन को कुशलता से मजबूती से आगे बढाने में सहायक होगा। श्री द्विवेदी ने कहा कि बुद्धि ज्ञान विचार में सर्वोत्तम बुद्धि को माना जाता है। व्यक्ति, परिवार,समाज, देश के उत्थान के लिये व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, बुद्धि, ज्ञान और विचारवान होने के साथ – साथ एक और भी तत्व है जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है वो है विवेक । विवेक जागृत हुए बिना प्रगति का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता। व्यक्ति और देश के समग्र विकास हेतु बुद्धि, ज्ञान और विचार के अतिरेक से बचते हुए कार्य करना ही विवेकशील होने का परिचायक है। उन्होंने कहा कि जब विवेक का जागरण होता है तो सर्वानंद का प्रादुर्भाव होता है और यही विवेकानन्द है। विवेकानन्द जी को पढना ही जरुरी नहीं है। इन्हे मनन करना और गढना भी बहुत आवश्यक है।‌ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने 21 सदी का विवेकानन्द बतलाते हुए कहा कि बुद्धि, ज्ञान, विचारधारा के विवेकशील प्रयोग से भारत के वैश्विक उत्थान का सराहनीय कार्य किया है। जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक उमेश पाण्डेय ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए अतिथियों को पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित करते हुए परिषद की गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर ज्ञानेन्द्र सिंह परिहार, आदर्श दुबे , रिया जायसवाल, खेलेन्द्री सिंह श्याम, महेश नापित, मोहन सिंह, सूरज केशरवानी के साथ अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता और सरस्वती माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम में नवांकुर संस्था प्रतिनिधि, परामर्शदाता,ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति सदस्य,सी एम सी एल ड़ी पी छात्र ,गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।। आभार प्रदर्शन ब्लाक समन्वयक फत्ते सिंह ने किया।

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