सड़क दुर्घटना कानून बने पर इसमें अभी संशोधन हो : तलहा मकरानी

किरतपुर (शरीफ मलिक) : केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 (2) प्रस्तावित पढ़कर लगा 10 साल कैद व 7 लाख रुपये का जुर्माना वाकई बहुत कठोर प्रावधान है। वहीं अगर चालक, घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। अब तक हिट एंड रन मामले में आरोपीयों की पहचान के बाद आईपीसी की धारा 304 (A) के तहत मुकदमा चलाया जाता था उसमें भी चालक को तुरंत जमानत मिलना वही इंश्योरेंस न होने पर भी मृतक परिवार से समझौता कर सजा से पूर्ण रूप से बच जाना जिसमें मोटर एक्सीडेंट कानून जनता पर अपना प्रभाव नहीं रखता था। जबकि अपने वहान से हुई दुर्घटना की रिपोर्ट करना चालक की वैधानिक नैतिक और अच्छे देशभक्त नागरिक होने की जिम्मेदारी है लेकिन ज्यादातर लोग इसे निभाने से अपने समय की बर्बादी वह फालतू का लफड़ा समझते हैं वह यह भी नहीं सोचते घायल व्यक्ति अपने परिवार के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आप। एनसीआरबी की ताजा आंकड़े सड़क दुर्घटना की हिस्सेदारी 97 फ़ीसदी है जिसमें हजारों व्यक्ति मारे जाते हैं इनमें चालक ने उन्हें अस्पताल पहुंचने में अपनी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी समझी आज तो इंटरनेट का युग है जरा सी नैतिक समझदारी से घायल की जान बचाई जा सकती है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 (2) प्रस्तावित अपना प्रभाव देश में छोड़ चुका है। इसमें संशोधन की मुख्य वजह पूरी तरह से सड़के गड्ढा मुक्त नहीं है अब तक लोगों में एक्सीडेंट कानून का खौफ प्रभाव नहीं था। चालक अपनी नैतिक जिम्मेदारी नहीं समझते थे, जनता भी उतनी जागरूक नहीं थी एक्सीडेंट हुआ और पिल पड़े ड्राइवर पर, जनता भी चालक के साथ बिना वजह कोई एक्शन ना ले उसकी भी जांच हो, चालकों का वेतन भी अभी बहुत कम है।

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